12/08/2025

Dhamaka News

Online Hindi News Portal

श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का चौथा दिन बड़े लक्ष्य की प्राप्ति हेतु छोटे झगड़ा समाप्त करने होंगे : डॉ प्रभु जी

छतरपुर /तिरोड़ा, श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य शुकदेव यजमान परीक्षित को समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहते हैं कि भगवान विष्णु ने देवताओं को समझाया कि बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए छोटे-छोटे झगड़ों को भूल जाना चाहिए, स्वर्ग की सत्ता पर असुर बली के अधिकार के बाद देवता पुनः स्वर्ग प्राप्त करना चाहते हैं, परंतु अत्यधिक बलशाली असुर देवताओं को बार-बार पराजित कर रहे हैं, भगवान ने उन्हें समुद्र मंथन से अमृत प्राप्त करने की सलाह देते हुए कहा कि देवता अकेले समुद्र मंथन नहीं कर पाएंगे इस बड़े कार्य में असुरों का सहयोग जरूरी होगा, इसलिए बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए असुरों से समझौता करना होगा, समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रतनो में सबसे पहले हलाहल कालकूट विष और सबसे अंत में भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रगट हुए।
शुरुआत खराब हो सकती है अर्थात विष से भी हो सकती है, इसीलिए भगवान विष्णु ने देवताओं को पहले ही उपदेश देते हुए कहा था कि किसी भी अच्छे कार्य को करने के पहले भयभीत न हो, छोटे-छोटे लोभ से बचें और क्रोध न करें, धर्म के अनुसार पाप के प्रति कठोर होना चाहिए,भगवान का कच्छप अवतार इसी का प्रतीक है, देवता भले ही अमृत पान कर अमर हो गए, परंतु असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने मृतसंजीवनी विद्या सिद्ध कर युद्ध में मारे गए असुरों को पुनः जीवित करना शुरू कर दिया, इस विकट स्थिति से निपटने के लिए भगवान वामन रूप में बली के दरवाजे पर जाकर तीन पग जमीन मांगते हैं और विराट रूप धारण कर राजा बलि का सब कुछ छीन लेते हैं।
अच्छाई का विरोध करने से शुभ अशुभ में बदल जाता है
भागवत कथा उपासक डॉ प्रभु जी गौतम ने कहा कि दान,यज्ञ, धर्म का कभी विरोध नहीं करना चाहिए अच्छाई का विरोध करने से शुभ अशुभ में बदल जाता है, दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने राजा बलि को तीन पग जमीन दान करने में बाधा उत्पन्न की कि परिणाम स्वरूप उन्हें अपना एक नेत्र खोना पड़ा।
वामन बने भगवान विष्णु ने शुक्राचार्य से कहा कि आपका ज्ञान रूपी नेत्र तो ठीक है जिससे मुझे पहचान गए,पर वैराग्य रूपी नेत्र ठीक ना होने से उसका ना रहना ही ठीक है, दो पग में सारे लोक नाप लेने के बाद तीसरे पग को रखने के लिए भगवान वामन, राजा बलि से स्थान मांगते हैं, तब राजा बलि की पत्नी विंध्यावली कहती हैं कि आपने सारा धन देकर ममता का त्याग तो कर दिया है अब तन का दान कर अहमता का भी त्याग करें, तब भगवान तीसरा पद बली के माथे पर रखकर उनका संकल्प पूरा करते हैं,
दिलीप असाटी, बंसी असाटी, प्रभु असाटी, जगदीश असाटी, आशीष असाटी परिवार द्वारा जय अंबे मां राइस मिल तिरोडा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने सैकड़ो श्रद्धालु उपस्थित हो रहे हैं, कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, इस हेतु मनोहरी जेल की झांकी बनाई गई, भगवान के जन्म पर मिठाइयां और उपहार बांटे गए बधाई गीत गाए गए सभी ने नृत्य किया,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *