छात्रावासो में अव्यवस्थाओ का डेरा, छात्रों ने कलेक्टर से क़ी शिकायत
निरीक्षण के अभाव में अधीक्षकों की मनमानी, पौष्टिक भोजन–पानी व बुनियादी सुविधाओं से वंचित विद्यार्थी
-संजय गुप्ता
सागर।मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जाति, जनजाति एवं आश्रम छात्रावासों की स्थिति बेहद चिंताजनक होती जा रही है। विभागीय अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण नहीं किए जाने से कई छात्रावासों में अव्यवस्थाएँ चरम पर हैं। विद्यार्थियों ने कलेक्टर से शिकायत कर उचित कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी के अनुसार छात्रावास अधीक्षकों की लापरवाही के कारण विद्यार्थियों को न तो पौष्टिक नाश्ता, भोजन और चाय मिल पा रही है और न ही अन्य आवश्यक व्यवस्थाएँ उपलब्ध हैं। कई छात्रावासों में शुद्ध पीने का पानी तक नहीं है, खिड़की–दरवाजे टूटे हुए हैं और ठंड के मौसम में बच्चों को घर से अतिरिक्त कपड़े लाने पड़ रहे हैं। बिस्तर के कवर व कपड़ों की धुलाई तक नहीं की जा रही तथा साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब पाई गई।स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि अधिकारी समय-समय पर निरीक्षण करें और अनियमितताओं पर कार्रवाई करें, तो छात्रावासों की हालत सुधर सकती है। लेकिन निरीक्षण के अभाव या अधीक्षकों से मिलीभगत के कारण स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। मरम्मत और सुविधा सुधार के लिए आने वाली राशि में भी अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं।
सबसे ज्यादा खराब हालात आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र केसली और रहली के छात्रावासों में देखे गए।जब कलेक्टर संदीप जी.आर. ने रहली के छात्रावासों का निरीक्षण किया तो गंभीर अनियमितताएँ उजागर हुई थीं। विद्यार्थियों का कहना है कि यदि विभाग जिम्मेदारी से काम करे तो आवासीय छात्रावासों का संचालन बेहतर ढंग से हो सकता है।विद्यार्थियों व ग्रामीणों ने अपेक्षा जताई है कि जिला प्रशासन इस मामले में कठोर कदम उठाकर छात्रावासों में सुधार सुनिश्चित करे।
