वाहन से हत्या कीजिए, निबंध लिखकर छूट जाएंगे
सुरेंद्र अग्रवाल
अपने देश में भी अजीबो-गरीब फैसले होते हैं। पुणे के जुवेनाइल कोर्ट ने दो इंजीनियर्स की मौत के मामले में जिस तरह से आरोपी कार चालक को निबंध लिखने की सजा दी है।उसकी देशभर में आलोचना हो रही है।
पुणे में एक रईसजादे के पुत्र ने नशे में कार से (यह पोर्श कार दो करोड़ रुपए की है) बाइक पर जा रहे दो इंजीनियर्स को बेदर्दी से कुचलकर मार डाला।हद तो तब हो गई जब आरोपी युवक को थाने में वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी और उससे भी ज्यादा इंसानियत को शर्मशार करने वाले जुवेनाइल कोर्ट ने दो परिवारों का चिराग बुझाने वाले आरोपी को निबंध लेखन की सजा देकर उसे आजाद कर दिया।
दिल-दहलाने वाले इस हादसे और जुवेनाइल कोर्ट के फैसले से महाराष्ट्र में हड़कंप मच गया। सरकार एक्शन में आई और आरोपी के पिता को हिरासत में ले लिया गया। आरोपी युवक ने जिस होटल में मदिरा का सेवन किया था उसे और उसके आसपास जितने भी पब थे उन पर बुल्डोजर चला दिया। अपने देश की सरकारों और प्रशासन की नींद तभी खुलती है जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है। क्या यह फैसला आरोपी की हैसियत देखकर दिया गया है। क्या जुवेनाइल कोर्ट की नजर में दो युवाओं की मौत की कोई कीमत नहीं थी।
अभी हाल ही में ललितपुर के एक जज को इसलिए बर्खास्त कर दिया गया है कि उन्होंने अपने अधीनस्थ न्यायिक मजिस्ट्रेट पर एक मामले में दबाव डाला था। देशवासी आज़ भी न्यायालय पर ही सर्वाधिक भरोसा करते हैं। यह भरोसा हमेशा कायम रहे। इसलिए न्यायिक अधिकारियों को मानवाधिकार और मानवीय गरिमा को सर्वोपरि मानना चाहिए।
