बिजावर के वन डिपो में अंतिम संस्कार के लिए नहीं है लकड़ी, बिजावर वन विभाग का अमानवीय कृत्य सामने आया है
वरिष्ठ अधिवक्ता की अंत्येष्टि के लिए लोगों ने लकड़ी एकत्रित कर कराया अंतिम संस्कार ।
विजावर/ विभाग के एक मात्र लकड़ी डिपो से हिंदू परिवारों में होने वाले किसी व्यक्ति के निधन के बाद शव दाह के लिए शुल्क लेकर लकड़ी दी जाती है। लेकिन गुरुवार को एक वरिष्ठ अधिवक्ता रूप नारायण मिश्रा के निधन पर अंतिम संस्कार के लिए जटाशंकर रोड पर स्थित नगर के एकमात्र वन विभाग के डिपो लकड़ी लेने पहुंचे लोगों को लकड़ी नहीं दी गई। बाद में लोगों के पास निजी रूप से रखी लकड़ी ले जाकर अंतिम संस्कार करवाया जा सका । वन विभाग के उक्त संवेदनहीन कृत्य से नगर में भारी आक्रोश है। जनप्रतिनिधियों ने भी जताई नाराजगी है। दरअसल नगर में किसी भी हिंदू परिवार में किसी का निधन होने पर इसी डिपो से लोग नगद राशि देकर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी खरीदते हैं। लेकिन गुरुवार को डिपो में मौजूद कर्मचारियों ने कहा अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी नहीं है। खबर है कि इस मामले में विभाग के रेंजर और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों ने भी लापरवाही बरती। बिजावर और बाजना इलाके के जंगलों में दिन-रात वन विभाग अमले की मिली भगत से बेहिसाब लकड़ी कटाई कर तस्करी की जा रही है और अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी उपलब्ध करवाने में आनाकानी की जा रही है। इसके बाद शुक्रवार को भी एक महिला के निधन पर बमुश्किल लकड़ी मिल सकी। दरअसल जंगलों में कूप कटिंग और बारिश के दौरान गिर जाने वाले पेड़ आदि की नाप कर रिकॉर्ड में दर्ज करके इस डिपो में रखा जाता है। फिर निस्तार आदि के लिए सशुल्क उपलब्ध करवाया जाता है। इसी के तहत अंतिम संस्कार के लिए भी लकड़ी दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन पिछले कुछ समय से क्षेत्र में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर मिलीभगत करकेे बड़े पैमाने पर लकड़ी की हेरा फेरी के आरोप है। जिससे जंगल में बारिश के दौरान गिरने वाले पेड़ और कूप कटिंग की लकड़ी डिपो तक पहुंचाने के पहले ही अवैध रूप से बेंच दी जाती है। वन विभाग के भ्रष्टाचार के इस नासूर ने अंतिम संस्कार तक के लिए लोगों को परेशान कर रखा है। इस मामले में प्रभारी एसडीओ वन कार्तिकेय नायक ने बताया कि डिपो से अंतिम संस्कार के लिए हर हालत में लकड़ी उपलब्ध करवाना सुनिश्चित किया जाएगा। इस मामले में लापरवाही या गड़बड़ी पाए जाने पर कार्यवाही की जाएगी।
