लगातार विवादों में घिरती जा रही कॉऑपरेटिप बैंक की निविदा प्रक्रिया
देर शाम तक इंतजार करते निविदाकार, पर नहीं खोला टेंडर
छतरपुर। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित छतरपुर द्वारा गार्ड भर्ती हेतु एजेंसी चयन के लिए जारी किया गया टेेंडर लगातार विवादों में घिरता चला जा रहा है। मंगलवार को शाम 5 बजे से टेंडर खोलने की प्रक्रिया संपादित की जाना थी पर बैंक के अधिकारियों ने टेंडर खोलना तो दूर, दूर-दूर से आए निविदाकारों को यह जानकारी देना भी उचित नहीं समझा कि आखिर किन कारणों के चलते टेंडर नहीं खोला जा रहा है। नियमानुसार जब भी किसी निविदा प्रक्रिया में कोई परिवर्तन होता है तो प्रक्रिया में भाग लेने वाले समस्त निविदाकारों को लिखित में अवगत कराया जाता है लेकिन बैंक की मनमानी देखें कि उन्होंने सूचना पटल पर भी टेंडर ना खोलने का कारण प्रदर्शित नहीं किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित छतरपुर द्वारा जो निविदा भोपाल के अखबार में प्रकाशित कराई गई थी उसकी शर्त क्रमांक 8 में स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि यह निविदा 20 अगस्त को शाम 5 बजे सभी निविदाकारों के समक्ष खोली जाएगी। शर्त के मुताबिक भोपाल, इंदौर, रीवा, सतना व पन्ना के अलावा छत्तीसगढ़ से करीब 17 निविदाकार निर्धारित समय पर बैंक पहुंच गए पर बैंक के अधिकारियों ने न तो निविदा समिति की बैठक आयोजित की और ना ही टेंडर खोलने की प्रक्रिया शुरू की। हार-थककर सभी निविदाकार देर शाम लगभग साढ़े 6 बजे तक इंतजार करने के बाद अपने-अपने गंतव्य को लौट गए।
क्या कहते हैं नियम
शासन द्वारा इकदम स्पष्ट नियम जारी किए गए हैं जिसमें कहा गया है कि 3 लाख से अधिक के कार्य हेतु ऑनलाईन निविदा आमंत्रित की जाना चाहिए इसके लिए मध्यप्रदेश शासन ने एमपी ई-प्रोक्स पोर्टल भी बनाया हुआ है जिस पर पूरे मध्यप्रदेश के सभी विभागों के टेंडर अपलोड किए जाते हैं। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में इस नियम का मखौल उड़ते हुए ऑनलाईन टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर न सिर्फ ऑफ लाईन टेंडर आहूत किया बल्कि उसे भी स्थानीय अखबारों में प्रकाशित न कराकर राजधानी भोपाल के अखबारों में प्रकाशित कराया और जब इस बात की पोल खुल गई तब फिर नियत समय पर टेंडर ना खोलकर पूरी निविदा प्रक्रिया को विवादों के कटघरे में खड़ा कर दिया। इस संबंध में बैंक के कई अधिकारियों से चर्चा कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया पर किसी ने भी इस मामले में कुछ भी कहने से मना कर दिया।
