मदिरालय और खोल दीजिए
सुरेन्द्र अग्रवाल
कालेज तिराहे से लेकर पुलिस लाइन तिराहे तक की सड़क अति संवेदनशील होने के बावजूद असुरक्षित होती जा रही है।
पहले यहां पर केवल महाराजा कालेज और अवंतीबाई कालेज के साथ कुछ कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे थे।अब वहां पर यूनिवर्सिटी चल रही है। लेकिन इस सड़क को देखते हुए ऐसा लगता है जैसे हम यूनिवर्सिटी के रास्ते पर नहीं बल्कि सदर बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। सड़क के दोनों तरफ वैध अवैध गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। खोमचे वाले,फोहा और नास्ते वाले,पंचर सुधारने वाले,सिम बेचने वाले, वाहनों में पुस्तकें बेचने वाले, गर्म और ठंडे कपड़े बेचने वाले दुकानदारों की बाढ़ आ गई है।आठ दस वाहन जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर छतरपुर जिले के बाहर का है, उन्हें किसने यह अधिकार दे दिया है कि वह चाहे जहां अपने वाहन खड़े कर कारोबार कर रहे हैं। इसके अलावा कालेज (वर्तमान यूनिवर्सिटी) के गेट के बिल्कुल सामने जहां कब्रिस्तान का साइन बोर्ड लगा हुआ है, वहां पर कुछ गुमटियों ने अपना ठिकाना बना लिया है। जहां पर संदिग्ध गतिविधियां संचालित हो रही हैं।
बताया जाता है कि कतिपय शरारती तत्वों ने छात्राओं को अपने जाल में फंसाने के लिए यह अवैध अड्डे विकसित किए हैं।जब कभी कोई अप्रिय स्थिति निर्मित होंगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। आखिर किसकी इजाजत से इस अत्यंत संवेदनशील सड़क को मंडी बनाया जा रहा है।इस सड़क पर सिगरेट,पान मसाला, गुटखा आदि सहजता से उपलब्ध हो रहे हैं।अब केवल मदिरालय खोला जाना शेष रह गया है। किसी प्रभावशाली अथवा दबंग की सिफारिश पर इस सड़क पर “बार ”खोले जाने का लाइसेंस जारी कर दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जिस रास्ते पर छात्र छात्राओं का जीवन सुरक्षित होना चाहिए वहां पर यह खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। छात्र संगठनों के साथ ही सभी जिम्मेदार खामोश हैं। रहिए खामोश। पुणे में जिस तरह से एक रहीस जादे को दो लोगों की कथित हत्या किए जाने पर जुवेनाइल कोर्ट ने निबंध लेखन की सजा सुनाई है, वैसे ही यहां घटित किसी भी घटना पर इसी प्रकार की कोई सजा देकर उसे आजाद कर दिया जाएगा।
दो रोज़ पहले एक क्षेत्रीय समाचार पत्र ने भी इस सड़क को लेकर प्रशासन को चेताया था।
