भ्र्ष्टाचार की हद देखिये : मूसलाधार वरसात मे मजदूरों से खुदवा लिया तालाव
विजावर /लगभग तीन सप्ताह से अधिक समय से पूरा प्रदेश पानी से तरबतर है। इस दौरान छतरपुर जिले में सबसे ज्यादा बारिश बिजावर क्षेत्र में हुई है। इसी बारिश के दौरान जान जोखिम में डालकर मजदूरी करके सरकारी काम पूरा करने का अजूबा मामला सामने आया है। यह अनूठा कारनामा कागजों में कर दिखाया है बिजावर जनपद पंचायत क्षेत्र की एक ग्राम पंचायत ने। इस ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा कथित रूप से लगाए गए मजदूर मूसलाधार बारिश के बीच भरे तालाब में फावड़ा और तसला लेकर उतरे और तलहटी तक पहुंचकर वहां से तसला में मिट्टी भरकर लाए और तैरते हुए तालाब की बंधान पर डाली। इतनी हाड़ तोड़ मेहनत एक दो नहीं दर्जनों मजदूरों ने की और वह भी एक-दो घंटे नहीं दो-तीन सप्ताह तक की जाती रही। ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड तो यही दर्शा रहा है, कि जिन दिनों मूसलाधार बारिश हो रही थी उस समय ग्राम पंचायत में दर्जनों मजदूर तालाब खोद रहे थे । दरअसल ग्राम पंचायत कदवारा द्वारा ग्राम भैंसखार में सार्वजनिक तालाब महुआ के पास का नवनिर्माण बताया गया है। इस दौरान ग्राम पंचायत ने जून माह के दूसरे पखवाड़े से जुलाई माह के पहले पखवाड़े तक के मस्टर रोल लगाकर सैकड़ो मजदूरों के नाम से लाखों रुपए की मजदूरी आहरित कर ली। जब मूसलाधार बारिश के बीच लोगों का घरों से निकलना मुश्किल था उस दौरान तालाब की खुदाई किस तकनीक से मजदूरों द्वारा कर दी गई यह शोध किया जा सकता है। निगरानी करने वाले उपयंत्री और जनपद पंचायत के स्टाफ ने भी इस राशि आहरण में अपनी सक्रिय भूमिका अदा की। यहां पर सरपंच हक्की बाई लोधी है। लेकिन पूरा कामकाज उनके पति और पुत्र देखते हैं। सरपंच का एक पुत्र पंचायत सचिव है और एक पुत्र ग्राम रोजगार सहायक है। जो फिलहाल बिजावर क्षेत्र की ही दूसरी पंचायत में तैनात है। सरपंच बनने के करीब दो साल तक उनका पुत्र इसी पंचायत में ही ग्राम रोजगार सहायक रहा । इसके बाद ग्रामीणों द्वारा शिकायत करने के बाद उसे यहां से हटाया गया था। ग्राम कदवारा के ग्रामीणों का आरोप है कि कदवारा ग्राम पंचायत के जिस तालाब में भारी बारिश के दौरान मजदूरी दर्शाकर लाखों रुपए मजदूरी निकाली जा रही है यहां पहले एक पुरानी तलैया थी। बारिश के कुछ ही दिनों पहले यहां पर जेसीबी से साफ सफाई और थोड़ी सी खुदाई की गई थी। इसी को महुआ तालाब नाम देकर लाखों रुपए का गबन किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत गड़बड़ी के कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में है। पंचायत में खखरी निर्माण के नाम पर कई लाख रुपए का घोटाला किया गया है । यहां पर जमुना गौंड के खेत से फूल रानी गौंड के खेत तक पेरीफ़ियल स्टोन खकरी निर्माण दर्शाया गया है । जबकि यह पहले से बना था । इतना ही नहीं इसकी तो ईएमबी और मूल्यांकन है जबकि राशि आहरित की जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि पेरीफ़ियल स्टोन , पंचायत बार स्वीकृत होने की निश्चित सीमा होने से सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक और उपयंत्री ने जनपद के अधिकारियों के साथ मिलकर इसी काम को अलग-अलग नाम से स्वीकृत कर लिया। इसमें से लगभग सभी निर्माण सालों पुराने हैं। गांव में पहले लोग अपनी खेत की रखवाली के लिए आसपास पड़े पत्थर लगाकर उनकी पत्थर की दीवार बना देते थे। अब ग्राम पंचायत उन्हीं पत्थर की दीवारों को नया दर्शाकर हेरा फेरी कर रही है। ग्राम पंचायत कदवारा में झगड़ु लोधी के खेत से हल्की बाई लोधी के खेत तक पशु पक्षी दीवार निर्माण दर्शाकर करीब साढ़े आठ लाख रुपए स्वीकृत कर लिए। तो रामकृपाल पाल के खेत से बादल सिंह के खेत तक पशु बांध दीवाल ,वही मुन्ना गौंड के खेत से सांभर गौंड के खेत की ओर पशु ब्लॉक दीवाल दर्शा दी। जबकि यह पूरी की पूरी पत्थर गड्डी दीवाल कई साल पुरानी है। वही ग्रामीणों का आरोप है कि यहां पर रिचार्ज पिट निर्माण सार्वजनिक कूप के पास, बंधान जीर्णोद्धार एवं पिचिंग कार्य ब्रह्म देव तालाब के पास सहित अन्य कार्यों में लाखों रुपए की सरेआम हेराफेरी की गई। ग्रामीणों ने बताया कि मामले की शिकायत किए जाने पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। अधिकारी जांच के नाम पर सब निपटा देते हैं। जबकि गांव में सरकारी तालाब खोदने का जेसीबी चलते हुए वीडियो तक है।
।।।।मजदूरों और वेंडर का खेल…. इस ग्राम पंचायत में पूरा खेल फर्जी मजदूर और फर्जी वेंडर के आधार पर किया जा रहा है। ग्रामीण त्रिलोक सिंह का आरोप है कि सरपंच द्वारा अपने पुत्र भूपत लोधी, परिजन प्रभा लोधी, कल्पना लोधी, गोविंद लोधी, लक्ष्मण लोधी, रामदास लोधी सहित अन्य कई ग्रामीण के नाम से कई लाख रुपए की फर्जी मजदूरी आहरित की जा रही है। वहीं धर्मेंद्र लोधी तो सागर में रहकर पढ़ाई कर रहा है उसके नाम से भी मजदूरी निकाली जा रही है। गांव का राजेश सेन एक व्यापारी कुलदीप गुप्ता की पिक अप का ड्राइवर है इसके नाम से सामग्री और मजदूरी निकाली जा रही है। कुलदीप गुप्ता के नाम से भी मजदूरी और सामग्री की राशि आहरित की जा रही है। जबकि उसने कभी मजदूरी की ही नहीं है। ग्रामीण स्वामी पाल ने बताया कि पंचायत अधिकांश बिल पूरी तरह फर्जी है। जिसका सामग्री बेचने से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है ऐसे नाम से फर्जी बिल लगाकर बगैर काम करवाए अभी तक कई लाख रुपए की राशि हड़पी की जा चुकी है।
