छतरपुर के जल गंगा संवर्धन अभियान की धमक भोपाल तक
टॉप 5 में जगह बनाने अधिकारियों ने कसी कमर
_प्रतीक खरे_
छतरपुर/जिले में चलाए जा रहे जल गंगा संवर्धन अभियान को प्रदेश के प्रथम 5 जिलों में स्थान बनाने के लिए अधिकारियों ने कमर कस ली है। कभी नीचे से नम्बर 9 पर गिना जाने वाला छतरपुर जिला अब इस अभियान में ऊपर से 18वें नम्बर पर आ गया है। यदि इसी रफ्तार के साथ अभियान को गति मिलती रही तो जल गंगा संवर्धन अभियान की धमक भोपाल तक होगी और छतरपुर जिले का नाम प्रदेश के प्रथम 5 जिलों में शुमार हो जाएगा। इस अभियान के लिए कलेक्टर पार्थ जैसवाल एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी तपस्या परिहार दिन-रात एक कर रही हैं।
जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत् छतरपुर जिले को मध्यप्रदेश शासन से जो लक्ष्य प्राप्त हुआ था उस पर तेजी से काम किया जा रहा है। ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा विभाग के कार्यपालन यंत्री बी.के. रिछारिया ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा को जो लक्ष्य सौंपे गए थे उन पर तेजी से काम किया जा रहा है। छतरपुर जिले में खेत-तालाब के लिए कुल 1677 का लक्ष्य दिया गया था जिनमें से 1397 पर कार्य प्रारंभ हो गया है। यदि विकासखंडवार आंकड़े देखे जाए तो नौगांव में 237, राजनगर में 224, बड़ामलहरा में 181, लवकुशनगर में 172, छतरपुर में 165, गौरिहार में 155, बिजावर में 156 और बक्स्वाहा में 107 खेत-तालाबों के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। इसी प्रकार डगवैल में भी 1575 स्थानों पर तेजी से काम हुआ है। जिसमें छतरपुर में 270, बड़ामलहरा में 284, नौगांव में 219, लवकुशनगर में 204, बिजावर में 189, बक्स्वाहा में 188, राजनगर में 101 और गौरिहार में 120 डगवैल रिचार्ज का काम प्रारंभ किया गया है जो जल्द ही पूर्ण होगा।
दम तोड़ चुकी बावडिय़ों के बदले दिन


मप्र सरकार की अटल भू-जल योजना एवं मनरेगा जैसी हितग्राही मूलक योजनाओं के जरिए जिले भर की जीर्ण-शीर्ण हो चुकी बावडिय़ों के दिन बदल गए हैं। जिन बावडिय़ों को सैंकड़ों साल पहले राजाओं-महाराजाओं ने बनवाया था वे बावडिय़ां अब फिर उसी रजवासी ठाठ के साथ दिखने लगी है। छतरपुर जिले में कुल 20 प्राचीन बावडिय़ों को चिन्हित किया गया था जिनमें से 18 बावडिय़ां अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त कर चुकी है। ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा विभाग के कर्मचारियों ने इन बावडिय़ों को सजाने-संवारने में पूरी सिद्दत के साथ काम किया है। जो दो बावडिय़ां अपने पुराने दिन याद करने में पीछे रह गईं हैं उनमें से एक बावड़ी वन क्षेत्र में आती थी और एक बावड़ी पर कुछ विवाद था। इन दो बावडिय़ों को छोडक़र शेष 18 बावडिय़ां अब फिर से गुलजार हो गई है। कलेक्टर पार्थ जैसवाल एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी तपस्या परिहार ने इन बावडिय़ों को सहेजने-संभालने और पुराने स्वरूप में लाने के लिए काफी मेहनत की है। परिणाम स्वरूप आज ये 18 बावडिय़ां अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त कर चुकी है। अटल भूजल योजना एवं मनरेगा की राशि से जिन बावडिय़ों का जीर्णोद्धार किया गया है उनमें राजनगर विकासखण्ड क्षेत्र के ग्राम नहदौरा में स्थित सिद्ध बाबा मंदिर बावड़ी इसी गांव की नरवरिया धाम बावड़ी, ग्राम पंचायत इमलिया की खेरे की बेहर, ग्राम पंचायत गोमाखुर्द की कुशुम बेहर, ग्राम पंचायत डहर्रा की प्राचीन बावड़ी, ग्राम पंचायत मझगवां की बूढ़ी बेहर, तिलौहां की प्राचीन बावड़ी, बमीठा की प्राचीन बेहर, भियांताल की बूढ़ी बेहर, राजगढ़ की स्र्वगेश्वर मंदिर बेहर, इसी गांव की टपरियन रोड पर स्थित प्राचीन बावड़ी, बमीठा की प्राचीन बावड़ी, भियांताल की बेहरखैड़ा बावड़ी, ग्राम पंचायत चौबर की प्राचीन बेहर, गोमाखुर्द की गुंजा बेहर एवं लखेरे की प्राचीन बावड़ी शामिल है।
