12/08/2025

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गर्मी के दृष्टिगत लू की संभावना से बचाव और उपचार संबंधी निर्देश जारी

कलेक्टर पार्थ जैसवाल द्वारा जिले में वर्तमान परिस्थिति में अत्याधिक गर्मी को दृष्टिगत रखते हुए ऐसे शुष्क वातावरण में लू (तापघात) की संभावना जानलेवा हो सकती है। जिसके लिए आम जन को लू (तापघात) से बचाव संबंधी दिशा निर्देश जारी किए गए है।

लू से बचाव के लिए क्या करें

गर्मी के दिनों में धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के डील सूती वस्त्रों का प्रयोग करें। भोजन करके एवं पानी पीकर ही बाहर निकले। गर्मी के मौसम में गर्दन के पिछले भाग, कान व सिर को गमछे या तौलिये से ढंककर ही धूप में निकले। रंगीन चश्मे व छतरी का प्रयोग करें। गर्मी में हमेशा पानी अधिक मात्रा में पीएँ एवं पेय पदार्थों का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करें। बाहर जाते समय अपने साथ पानी रखें। गर्मी के दिनों में बच्चों का विशेष ध्यान रखें। बच्चों को सिखायें कि जब भी उन्हें अधिक गर्मी महसूस हो तो वे तुरंत घर के अंदर आये। गर्मी के दिनों में बुजुर्गों का भी विशेष ध्यान रखें। उन्हें धूप में घर से बाहर न निकलने दें व उन्हें समय-समय पर पानी पीने के लिए प्रेरित करें एवं सुपाच्य भोजन तथा तरल पदार्थों का सेवन करवाये। गर्मी के दिनों में ठण्डे मौसमी फलों का सेवन करें। गर्मी के दिनों में तीव्र धूप को अदर आने से रोके। जहाँ तक संभव हो, ज्यादा समय तक धूप में खड़े होकर व्यायाम मेहनत एवं अन्य कार्य न करें। बहुत अधिक भीड, गर्म घुटन भरे कमरों में ना जायें। रेल, बस आदि की यात्रा गर्मी के मौसम में अतिआवश्यक होने पर ही करें। बच्चों एवं बुजुर्गों को दिन के सबसे गर्म समय जैसे दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक घर से बाहर की गतिविधियों में शामिल ना होने दें। धूप में बच्चों और पालतू जानवरों को गाडी में अकेला न छोडे। धूप में नंगे पाँव न चले। चाय कॉफी अत्यधिक मीठे पदार्थ व गैस वाले पेय पादाथों का सेवन न करें।

लू लगने के लक्षण

गर्म लाल और सूखी त्वचा होना, शरीर का तापमान से 40 सेल्सियस या 104 फॉरेनाइट से अधिक होना, मतली या उल्टी, बहुत तेज सिर दर्द होना, मांशपेशियों में कमजोरी या ऐठन,सांस फूलना या दिल की धड़कन तेज होना, घबराहट होना, चक्कर आना, बेहोशी और हल्का सिरदर्द होना आदि

लू तापघात से प्रभावित व्यक्ति के प्राथमिक उपचार के तरीके

रोगी को तुरंत छायादार जगह पर, कपडे ढीले कर लिटा दें एवं हवा करें, रोगी के बेहोश होने की स्थिति में कोई भी भोज्य एवं पेय पदार्थ ना दे एवं तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्तः करें, रोगी के होश में आने की दशा में उसे ठण्डे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल एवं कच्चा आम का सर्वत (पना) आदि दें। रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिये यदि संभव हो तो उसे ठण्डे पानी से स्नान करायें या उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखकर पूरे शरीर को ढक दें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहरायें जब तक की शरीर का ताप कम नहीं हो जाता है।

चिकित्सा संस्था में लू की स्थिति के लिए तैयारी

जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में गर्मी शुरू होने से पहले निम्न आवश्यकताएं सुनिश्चित करने जिसमें गर्भवती महिला एवं सभी मरीज व उनके परिजनों के लिए छांव में बैठने की व्यवस्था अस्पताल द्वारा सुनिश्चित करें, लू (तापघात) से प्रभावित रोगियों के लिये बिस्तर की व्यवस्था सुनिश्चित करें, थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर एंड स्ट्रिप, आइस पैक एवं बी.पी. मापने के उपकरण उपलब्धता सुनिश्चित करें, ई.सी.जी. उपकरण (ईसीजी मशीन, जेल ई.सी.जी पेपर, इलेक्ट्रोड) की व्यवस्था, दवाइयां जैसे ओआरएस, फ्लूइड्स, ठंडे पानी की व्यवस्था, लू के रोगी के लिए बर्फ पैकेट एवं ठंडे पानी की एंबुलेंस में व्यवस्था सुनिश्चित करने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं।

लू से बचाओ के लिए प्रशासनिक निर्देश

सभी सरकारी अस्पताल में लू से बचाओ के लिए विशिष्ट योजना बनाना, लू से बचाओ के लिए जन सामान्य द्वारा अपनाए जाने वाले उपाय के सुझावों को अस्पतालों के बाहर नील एवं गेरू के लिखा जाए, अस्पतालों में पर्याप्त पलंग़ की व्यवस्था करना, एम पी डब्ल्यू, आशा कार्यकर्ताओं, पर्यवेक्षकों को स्थानीय स्तर पर लू के ग्रसित रोगियों की जानकारी बीएमओ को देना, स्वयंसेवी संगठनों के साथ लू से बचाओ के लिए बैठक करें, सार्वजनिक स्थलों पर एंबुलेंस को लू ग्रस्त रोगियों के आपात परिवहन के लिए तैयार रखना आदि दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

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