वाप रे वाप! सटोरियो की जडे तो पाताल मै है
-प्रतीक खरे
छतरपुर/ ये छतरपुर है साहव यहा सटोरियो की जडे पाताल तक है,यहा किसी भी सटोरिये को छेडना मतलब जिम्मेदारो की पूछ पर पाव रखने के समान है,साहवानो को फलने फूलने के लिये जरूरी है की सटोरिये फले फूले,भले ही किसी का बेटा बर्वाद हौ जाए,किसी की पत्नी का मंगल सूत्र विक जाये,किसी की गोद सूनी हो जाये ओर किसी की मांग का सिन्दूर उजड जाए,पर सटोरियो का वाल भी वांका नही होना चाहिये,क्योकी बो किसी के लिये सफेद हाथी है तो किसी के लिये दुधारू गाय |
ये छतरपुर है यहा की आवो हवा ने पिछ्ले सालो मै कई परिवारो को वर्वाद होते देखा,वर्वाद इसलिये क्योकी सट्टा माफियाओ द्वारा अपने ओर जिम्मेदारो के परिवार पालने के लिये दूसरो के लाडले को सुनहरे सव्जवाग दिखा दिखा कर सट्टा खेलने का इतना लती वना दिया जाता है की फिर उसका परिवार कर्ज चुकाते चुकाते तिल तिल कर जीने को मजबूर हो जाता है,ओर ये सटोरिये अपने खाकी संरक्षको के संरक्षण मै पीडित परिवार की मेहनत की कमाई को एसे चूसते है जैसे कोई गोंच म्रत पशु का पूरा खून चूस लेती है | यह कोई काल्पनिक और हॉरर स्टोरी नही है बल्कि पीडित परिवारो की सत्य कथा है | अव तक ना जाने कितने परिवारो को सटोरिये निगल चुके है आये दिन पीडितो की व्यथा अखवारो की सुर्खिया बनते देखी गई है पर मजाल की किसी जिम्मेदार नें किसी सटोरिये को छेडा हो,अरे साहव छेड़ना तो दूर की बात है उनकी आत्मा तो उन्हे संरक्षण देने मै भी नही कचोटती पता नही किस मिट्टी के बने है बे लोग जो अपना जमीर गिरवी रख कर सटोरियो को ना बचाने कि गुहार लगाते नही थकते | वस यही कारन है की यहा सटोरियो की जडे पाताल मै है, सच कहू तो पाताल मै भी नही उस नाभि से जुडी है जिनके हाथो मै अपराध की जडे काटने की जिम्मेदारी ह
