आवारा कलम से (भ्रम)
दिनेश अग्रवाल शहडोल
——————————
बुन्देली हो या बुन्देला हो, दोऊ जनें जा बात अच्छी तरह जानत कै अपने इतै जितनो काम नईं हो रओ, उतनो तो नाम हो रओ। भूमि पूजन के दिना से आज लौ झूला पुल की सड़क वैसई पड़ी। पता नई भूमि-पूजन की काये जल्दी परीती?
नगर को इतिहास बताहै कै कब और कौन साहेब के राज में शहर की मस्त खुदाई भईती..। जिज्जी, हमें तो अब ऐसो लगत कि मानो राजा विराट ने इतै मोहरें भर-भर खें हंडा गाड़े हते, अब कंपनी वेई हण्डा तलाश रई। आगे ऐसो भी तो हो सकत कि घर-घर से पाइप कनेक्शन जोड़वे के नाम पे घरन के टैंक तक फिर खुदाई शुरु हो, काये से जब तक हंडा ना मिलहें तब तक कंपनी खे कौन सुस्तानें। हंडा की तलाश में सबरन के हड्डा-गुड्डा अगर काल टूटत हों सो बरगये आज टूट जायें पर काम पूरो करने सो—पूरो करने।
काये जिज्जी, तुमाये गैल की हुलिया अब कैसी है उतै तो महीना भर पहले खाई हो गईती? विपक्ष की तरह अब तुम लोगन खे और ना भरमाओ। सूपावारी, काम कौनऊ होय, थोरी बहुत तो परेशानी उठाने परत। इतै देश से गुलामी के सबरे परतीक मिटाये जा रयै, सोचो तो सही देश में काम कित्तो बड़ो हो रओ?
ए-जिज्जी, जा सीवर लाइन तो गुलामी बनावे बारी बरतानी सरकार की दैन आये, अपने ग्रंथन में कहूं पढवे नईं मिलो कि रामराज में या कान्हा के राज में सीवरलाइन हती? हर युग में मैदान जावे और संध्यावंदन की बात पढवे जरुर मिली।
–काय जिज्जी, अब जो सब छोड़ो, हमें तो अब जो बताओ कि जा ठंड ऐसई परने कै कपकपी और बढ़ सकत, काये से 20-25 बीएलओ तो अबईं मर गये सर्वे में, तो फिर आगे चुनाव तक और कितने मरहें?
–जे बीएलओ ठंड से नईं मरे, काम के बोझ से मरे, ऐसो चुनाव आयोग ने खुद बताओ।
–का जिज्जी, तुमऊं कैसी बातन में परीं, डाॅक्टर ने तो नईं बताई जा बात, तो अब आयोग थोरी ना दैहे डैथ सर्टिफिकेट। काम के बोझ से बीएलओ मर रये।
–जिद ना करो सूपावारी काम के बोझ से कोऊ ना मरे, सरकारी नौकरी बोझ होती तो काये के लाने सब सरकारी नौकरी के पाछे पाछे भगते? ऑफिस में काम के टाइम पे चाय पी वे बाले बाबुअन की उतै भीड़ लगी रहात, अब हम सबकी ऐसी धारणा बन गई के जे लोग काम ना करवे की वेतन लेत और काम करवे की घूंस लेत भला उनै काम को बोझा का परने?
भरमा रईं तुम जिज्जी, जे मास्टर आय हते, पढ़ावें के अलावा इनसे जब भी काम लओ गओ तो जे सब बोझा से मर गये। इनै स्कूल की भी उत्तई चिंता लगी जितनी चिंता अपने घर की लगी।
छोड़ो तुम सूपावारी जे टी वी की डिवेड जैसी बातें, जाओ मोबाइल उठा लाओ घंटी बज रई।
