कलेक्टर के आदेश पर सीएमएचओ ने रद्द कीं आउटसोर्स नियुक्तियां
छतरपुर 9 अप्रैल (कासं)।
मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरपी गुप्ता ने निलंवल से बहाली के बाद आखिरकार कलेक्टर के आदेश को मानते हुए अवैधानित रूप से की गई आउटसोर्स की सभी 172 नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। सीएमएचओ डॉ. आरपी गुप्ता ने अपने आदेश में उन कर्मचारियों के नाम भी उल्लेखित किए हैं जिन्हें तीन महीने पहले जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में आउटसोर्स के आधार पर नियुक्त किया गया था। कलेक्टर के आदेश का जैसे ही मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य अधिकारी ने पालन करते हुए नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश जारी किया जिले भर के उन बेरोजगारों में खुशी की लहर दौड़ गई जिनके अधिकारों का हनन कर अवैधानिक रूप से सेडमेप की आड़ में स्वास्थ्य विभाग ने बगैर कोई चयन प्रक्रिया अपनाए 172 लोगों को आउटसोर्स आधार पर नियुक्ति आदेश थमा दिए थे।
गौरतलब हो कि स्वास्थ्य विभाग ने ग्रुप डी की भर्ती के लिए सेडमेप के साथ अनुबंध कर लिया था और बल्र्ड क्लास सर्विसेस को ही छतरपुर जिले का काम आवंटित करने के लिए सिफारसी पत्र भी भेज दिया था। चंूकि बल्र्ड क्लास सर्विसेस कंपनी सेडमेप की इन पैनल्ड कंपनी है जिस कारण सेडमेप ने स्वास्थ्य विभाग छतरपुर का काम इसी कंपनी को आवंटित कर दिया था। बल्र्ड क्लास सर्विसेस कंपनी को काम आवंटित होते ही स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में बगैर कोई चयन प्रक्रिया अपनाए 172 कर्मचारियों को आउटसोर्स आधार पर नियुक्त कर कार्य प्रारंभ कर दिया था। इसी बीच शिकायतकर्ताओं ने इस पूरी धंाधलेबाजी की शिकायत कलेक्टर से लेकर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को कर दी। कलेक्टर छतरपुर पार्थ जैसवाल ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी तपस्या परिहार एवं जिला पंचायत की ही एकाउंट ऑफिसर सुहासनी जैन की दो सदस्यीय कमेटी गठित कर पूरे मामले की जांच करवाई तो गंभीर अनियमितताएं उजागर हो गईं। कलेक्टर ने सीईओ तपस्या परिहार की जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन को पत्र लिखकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करने हेतु लिखा। इसी बीच 17 मार्च को छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिए कि वे तत्काल प्रभाव से सभी नियुक्तियों को रद्द करें और सेडमेप से अनुबंध समाप्त करें। इसी बीच 28 मार्च को सागर कमिश्रर ने कलेक्टर के प्रतिवेदन को आधार बनाकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरपी गुप्ता को निलंबित कर दिया था। डॉ. गुप्ता का निलंबन आदेश भी सागर कमिश्रर ने भी 12 दिन बाद पलट दिया और उन्हें बहाल कर दिया। निलंबन से बहाल होने के बाद डॉ. गुप्ता ने गुरूवार को सभी 172 आउटसोर्स नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया।
यहां खास उल्लेखनीय यह है कि डॉ. गुप्ता अपने बचाव में लगातार यह कहते रहे हैं कि नियुक्तियां उन्होंने नहीं की सेडमैप ने की है। लेकिन अब जब उन्होंने गुरूवार को नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश जारी किया तो यह स्वत: सिद्ध हो गया कि यह नियुक्तियां डॉ. गुप्ता की सिफारिश पर ही की गईं थीं। यदि सेडमैप ने नियुक्तियां की होती तो सेडमैप को नियुक्तियां रद्द करना चाहिए थी। कुल मिलाकर डॉ. गुप्ता ने देर आए- दुरूस्त आए की तर्ज पर काम करते हुए कलेक्टर के आदेश को माना और सभी आउटसोर्स नियुक्तियों को रद्द कर दिया है।
