बैंक ने 20 लाख के लॉन के मामले में लापरवाही कर पत्नी के नाम करा दिया बीमा, उपभोक्ता फोरम से मिला न्याय
छतरपुरः एक व्यक्ति ने व्यापार करने के लिए बैंक से लॉन लिया था। लेकिन बैंक के द्वारा लापरवाही करते हुए पत्नी और बच्चो को लॉन में षामिल कर दिया। तथा लॉन लेने वाले के स्थान पर उसकी पत्नी के नाम बीमा करा दिया। और परिवार से लॉन की राषि वसूलने की कार्यवाही की गई। उपभोक्ता फोरम ने बैंक की लापरवाही मानते हुए लॉन खाता समाप्त करने का आदेष दिया।
एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि पीड़ित पूजा ओटवानी और उसके बेटे आकष, मोहित ने उपभोक्ता फोरम में इस आषय का मामल पेष किया कि आर्षीवाद बेकर्स फर्म के मालिक विषाल कुमार ओटवानी ने फर्म को चलाने के लिए अपनी फर्म के नाम से एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक षाखा छतरपुर से लोन लेने के लिए आवेदन दिया था। बैंक द्वारा 30 मई 2019 को 20 लाख रुपए का लोन स्वीकृत किया। जिसका समय 120 माह था। विषाल ओटवानी ने छतरपुर स्थित अपना मकान बैंक में बंधक रखा था। साथ ही बैंक ने लोन का बीमा फ्यूचर जनरली इंडिया लाइफ इंष्योरेंष कंपनी से कराया था। बीमा के अनुसार यदि बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब बीमा कंपनी को लोन का भुगतान करना होता है। बैंक के द्वारा मनमानी करते हुए विषाल ओटवानी के साथ साथ उसकी पत्नी पूजा, बेटे आकाष, मोहित को भी उनकी सहमति के बिना लोन लेने में षामिल कर दिया। और बैंक द्वारा विषाल के मृत पिता का नाम भी लोन में जोड़ दिया था। जबकि बीमा पॉलिसी में एक व्यक्ति के द्वारा लॉन लेना लेख किया गया। और बैंक के द्वारा धोखाधड़ी करते हुए विषाल के स्थान पर उसकी पत्नी पूजा के नाम बीमा कर दिया था। विषाल के द्वारा लॉन की किष्तों का नियमित रुप से भुगतान किया जा रहा था। 31 मार्च 2021 को विषाल की मृत्यु हो गई। 20 मई को बैंक के द्वारा विषाल की पत्नी और बेटो को नोटिस भेजा गया कि लॉन चुकाने में अनियमितता की गई इसलिए खाता को एनपीए घोशित कर दिया और 60 दिनों के अंदर 23 लाख 46 हजार 992 रुपए जमा करने को कहा। 28 मई 2024 को न्यायालय के जरिए विषाल के परिवारवालों को सूचना दी गई कि वह बैंक में बंधक रखे मकान का कब्जा बैंक को सौप दे। मकान को नीलाम कर लॉन की राषि वसूल की जावेगी। पीड़ित पक्ष के एडवोकेट प्रद्युम्न तिवारी ने मामले से संबंधित सभी दस्तावेज और सबूत फोरम के समक्ष पेष किए। उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष सनत कुमार कष्यप सदस्य निषा गुप्ता और धीरज कुमार गर्ग ने बैंक की लापरवाही मानते हुए आदेष दिया कि उक्त लॉन की राषि मय बयाज के बैंक पीड़ित पक्ष से वसूलने का अधिकारी नही है। इस लिए 30 दिनों के अंदर लॉन खाता समाप्त कर पीड़ित पक्ष को एनओसी प्रदान करे। और सेवा में कमी के लिए 25 हजार रुपए और मामले का खर्च 5 हजार रुपए भी अदा करें।
