दिल खोल सत्कार, नियम तार-तार
– प्रतीक खरे
छतरपुर / जिले की सत्कार शाखा बीबीआईपी के सत्कार मै कोई कमी नहीं छोड़ रही हैं, छोड़ना भी नहीं चाहिए क्योंकि सत्कार शाखा का काम ही अतिथितियों का सत्कार करना हैं | पर अखरने वाली वात यह हैं कि शाखा के दिल खोल सत्कार से नियम तार-तार हो रहे हैं, जिसकी परवाह करने वाला कोई नहीं हैं |
जिले कि सत्कार शाखा के सूत्र बताते हैं सरकार ने वीआईपी मूबमेंट के दौरान होने वाले सत्कार की विस्तृत गाइड लाइन तय कर रखी, मसलन किस श्रेणी के वीआईपी को किस श्रेणी का सत्कार ओर सुविधाये मुहईया कराई जाना हैं इसके नियम भी बने हैं ओर सत्कार शाखा की अलमारियो मै कैद फ़ाइलो की शोभा बढ़ा रहे हैं, हमारे जिले के किसी भी अधिकारी को इतनी फुर्सत नहीं हैं कि इन नियमों पर कम से कम एक वार गहरी नहीं तो सरसरी निगाह ही डाल लै | खवर्ची को लिखने ओर बताने मै कोई गुरेज नहीं हैं कि जिले कि सत्कार शाखा आँख बंद कर सत्कार के नाम पर नियमों कि धज्जिया उड़ाने मै लगी हुई हैं ओर सत्कार के नाम पर सरकारी धन को धिगाना बनाने मै जुटी हैं,जिस अतिथि के काफ़ले मै अधिकतम सात वाहनो का काफ़िला लगाया जा सकता हैं, उस वीआईपी के काफ़ले ओर कारगेट मै 17 वाहन लगाना क्या नियमों का मखोल उडाना नहीं हैं ? यदि हैं तो इस मनमानी पर नकेल कौन कैसेगा? ओर सत्कार शाखा के दिल खोल सत्कार कि जाँच कौन और कब तक करवायेगा?
एक साल मै चार करोड़ खर्चे
सत्कार पर खर्च करने का आलम यह हैं कि कलेक्ट्रेट कि सत्कार शाखा ने एक साल मे चार करोड़ से भी अधिक कि राशि खर्च कर डाली, इस खर्चे मै झोल ही झोल हैं, क्योंकि वीवीआईपी के काफ़िलो कि शोभा बढ़ाने मै तो महगी लगजरी गाड़िया लगाईं ही गई इसके अलावा रिटायर्ड ज्यूड़ेसियल अधिकारियों से लेकर राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओ कि खिदमत मै भी दोनों हाथों से सरकारी धन लुटाया गया हैं | सत्कार के नाम पर हुई इस धादली पर अधिकारियों की चुप्पी मिली भगत कि ओर इशारा कर रही हैं यदि सालो साल से चल रहे इस सत्कार घोटाले की गहराई से जाँच करा दी जाए तो कई बेदाग़ चेहरों से नकाव उठ जाएगा |
