सरस्वती सदन पुस्तकालय ट्रस्ट की होगी जांच, टीम गठित
छतरपुर। नगर के जाने-माने सरस्वती सदन पुस्तकालय पब्लिक ट्रस्ट में 15 साल पहले की गई अनियमितताओं की जांच के अंतत: आदेश कर दिए गए हैं। कलेक्टर ने इस पब्लिक ट्रस्ट की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन भी कर दिया गया है। कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने कमिश्रर के आदेश पर छतरपुर एसडीएम अखिल राठौर एवं जिला कोषालय अधिकारी विनोद कुमार श्रीवास्तव को पूरे मामले और घोटाले की जांच करने के निर्देश दिए हैं। इस घोटाले की शिकायत वर्ष 2011 में की गई थी तब से यह शिकायत रद्दी की टोकरी में धूल खा रही थी लेकिन अब अचानक ही अधिकारियों की नजर इस पर पड़ी और पूरे मामले की जांच करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 17 अगस्त 2011 को नगर के आधा दर्जन से भी अधिक साहित्यकारों और कवियों ने कलेक्टर के नाम संबोधित एक शिकायत जिला प्रशासन को सौंपी थी जिसमें सरस्वती सदन पुस्तकालय पब्लिक ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं सचिव पर गंभीर आरोप लगाते हुए लोक निधि का दुरूपयोग करने और ट्रस्ट की संपत्ति में आर्थिक हानि पहुंचाने के आरोप शामिल थे। शिकायतकर्ताओं ने दोषियों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी। शिकायत में उल्लेख किया गया था कि सरस्वती सदन पुस्तकालय पब्लिक ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने ट्रस्ट की संपत्ति में निर्मित 10 दुकानों को औने-पौने दामों में अपने चहेतों को मनमानी राशि लेकर आवंटित कर दी थीं। इन दुकानों के आबंटन में न तो भंडार क्रय नियम का पालन किया गया और न हीं दुकानों की नीलामी के लिए समाचार पत्रों मेें इश्तहार प्रकाशित करवाए गए। उन्होंने आरोप लगाया था कि कई दुकानदारों से किराया न लेकर ट्रस्ट की संपत्ति को जानबूझकर क्षति पहुंचाई जा रही है। नए भवन के निर्माण के पूर्व पुस्तकालय भवन के पुराने मलबे से निकली कीमती सामग्री को भी बिना खुली नीलामी कराए कमीशन लेकर कम दामों में बेच दिया। उन्होंने शिक्षा विभाग से मिलने वाले अनुदान को भी ठुकराकर ट्रस्ट को क्षति पहुंचाई है। शिकायत में उल्लेखित किया गया था कि जो किताबें डाक से मंगाई जा सकती थी उन्हें खरीदने के लिए ट्रस्ट के अधिकारी बनारस तक गए और सैरसपाटे में लाखों रूपए खर्च कर लौट आए। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया था कि ट्रस्ट के सचिव प्रतिदिन लेखा संधारण न कर 2-3 महीने बाद लेखा संधारण करते हैं और ट्रस्ट के द्वारा शासन को आयकर भी नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने महंगी किताबों को सस्ते दामों में बेच डालने के गंभीर आरोप लगाए थे। वर्ष 2011 में की गई इस शिकायत पर प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की लेकिन अचानक सागर कमिश्रर के निर्देश पर कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच टीम गठित कर पूरे मामले की जांच करने के कड़े निर्देश दिए हैं।
इनका कहना है
मुझे सरस्वती सदन पुस्तकालय पब्लिक ट्रस्ट की जांच करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। मैं जल्द ही पूरे मामले की जांच कर कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन सौंपूंगा।
–अखिल राठौर
अनुविभागीय अधिकारी, छतरपुर
