भावी इंजीनियरों ने समझी महाराजा छत्रसाल की विरासत
पं. देवप्रभाकर शास्त्री इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने किया धुबेला संग्रहालय का अवलोकन
छतरपुर। अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद् नई दिल्ली स्पॉन्सर्ड इंडक्शन प्रोग्राम के अंतर्गत पंडित देवप्रभाकर शास्त्री इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को ऐतिहासिक स्थल महाराजा छत्रसाल म्यूजियम धुबेला का भ्रमण कराया गया। संस्थान के इंजीनियरिंग छात्रों ने महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में पहुंचकर प्राचीन संस्कृति की कला आदि का ज्ञान प्राप्त किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को बताया गया कि इस संग्रहालय की स्थापना सितंबर 1955 में महाराजा छत्रसाल द्वारा अपने निवास के लिए बनवाए गए महल में की गई थी। वर्तमान में संग्रहालय में 8 दीर्घाएँ हैं जिनमें से दो दीर्घाओं में गुप्त और कलचुरी काल के शिलालेख, ताम्रपत्र, सती स्तंभ, लिंग और उत्कीर्ण चित्र प्रदर्शित हैं। संग्रहालय में शक्ति पंथ की मूर्तियों की एक विस्तृत श्रृंखला है। जिसमें जैन छवियों का एक महत्वपूर्ण संग्रह भी है। इसमें बुंदेला राजाओं के वस्त्र, हथियार और पेंटिंग भी प्रदर्शित किए गए हैं। इन सभी कालातीत जानकारियों को संग्रहालय के प्रभारी ब्रजेश तिवारी के द्वारा छात्रों को बड़े ही सहज तरीके से बताया गया। संस्थान के प्राचार्य डॉ. जे. सोनी ने विजिट को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। उन्होंने भविष्य में खजुराहो एवं कालिंजर के किले की विजिट करने की बात कही। कॉलेज मैनेजिंग डायरेक्टर सौरभ दीक्षित ने छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ इतिहास की जानकारी होने पर जोर दिया। व्हीएव्ही ग्रुप ऑफ कॉलेज के अध्यक्ष अशोक दीक्षित एवं सचिव श्रीमती सरोज जैन ने छात्रों का हौंसला बढ़ाते हुए उनके उज्जवल भविष्य के कामना की है।
