क्रिटिकल केयर ब्लॉक निर्माण में धांधली चरम पर, न सडक़ बनाई, न मटेरियल समेटा, न प्रबंधन से कराया कभी निरीक्षण
प्रतीक खरे
छतरपुर । जिला अस्पताल परिसर में 30 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित हो रहे 5 मंजिला क्रिटिकल केयर ब्लॉक के निर्माण में ठेकेदार द्वारा जमकर धांधली की जा रही है। हालंाकि ठेकेदार ने बिल्डिंग का 5 मंजिला ढांचा निर्धारित समयावधि में खड़ा कर दिया है पर भवन निर्माण में जो अनियमितताएं बरतीं जा रही हैं वह किसी से छिपी नहीं है। यदि जिला प्रशासन ने शीघ्र ही ठेकेदार पर नकेल नहीं कसी तो जिला अस्पताल की दिशा व दशा बदलने वाली यह भारी भरकम बिल्डिंग पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगी।
जिला अस्पताल परिसर में बीडीसी की देख-रेख में 5 मंजिला क्रिटिकल केयर ब्लॉक का निर्माण कराया जा रहा है। इस भवन के निर्माण होने की अंतिम तारीख अगस्त 2025 तय की गई है। 30 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाले इस भवन में अत्याधुनिक ओटी, कार्डियोलॉजी, नेप्रोलॉजी, यूरोलॉजी जैसी महत्वपूर्ण विभागों के संचालन के लिए अत्याधुनिक कमरों का निर्माण किया जाना है। इसी भवन में 100 बिस्तर वाला मेटरनिटी कक्ष भी निर्माण होना है इसके साथ ही एक बड़ा सेमिनार हॉल भी तैयार किया जाना है। इस भवन के बन जाने के बाद जिला अस्पताल में बे सारी सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी जो एक आधुनिक अस्पताल में होनी चाहिए। यह ब्लॉक 200 बिस्तर की क्षमता वाला बनाया जा रहा है। जिला अस्पताल में पहले से ही 300 बिस्तर की क्षमता मौजूद है। इस भवन के तैयार हो जाने से जिला अस्पताल में 500 बिस्तर की क्षमता हो जाएगी। लेकिन बीडीसी के ठेकेदार राजेश गुप्ता द्वारा इस निर्माण में गंभीर लापरवाहियां भी बरती जा रही है। सूत्र बताते हैं कि जो पाईप लगाए जा रहे हैंं वे मानक स्तर के नहीं है और उनकी थिकनिस में भी मापदण्डों का पालन नहीं किया जा रहा है। सबसे मजेदार बात यह है कि ठेकेदार ने कभी भी अस्पताल प्रबंधन को इस निर्माणाधीन भवन का निरीक्षण नहीं करवाया। नियमानुसार जब भी अस्पताल का कोई अत्याधुनिक भवन बनता है तब समय-समय पर प्रबंधन के साथ ही डॉक्टरों को भी निरीक्षण करने की पात्रता होती है ताकि वे देख सकें जो ओटी कक्ष बन रहा है वह गाइड लाईन के अनुरूप है या नहीं। मरीजों की भर्ती के लिए जो वार्ड बनाए जा रहे हैं उनमें पर्याप्त सुविधाएं है या नहीं। लेकिन ठेकेदार ने अपनी मनमानी के चलते अस्पताल प्रबंधन को कभी कोई निरीक्षण नहीं करवाया। ठेकेदार ने न तो बिल्डिंग के चारों तरफ फैला हुआ मलवा हटाया और न ही बिल्डिंग के सामने सडक़ का निर्माण करवाया। नियमानुसार ठेकेदार को बिल्डिंग निर्माण करवाने से पहले उसके सामने सडक़ का निर्माण कराना था ताकि पीछे की तरफ बने सिविल सर्जन कार्यालय के लिए वाहनों के आवागमन में कोई दिक्कत न हो।
इंजीनियर ने झाड़ा पल्ला
क्रिटिकल केयर ब्लॉक निर्माण में ठेकेदार के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर अंशुल खरे की भी देख-रेख की जिम्मेवारी है। पर उन्होंने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि बिल्डिंग का निर्माण बिल्डिंग डेव्लपमेंट कार्पोरेशन (बीडीसी) की देख-रेख में किया जा रहा है जिस कारण मुझे भवन की गुणवत्ता की और उसमें लगने वाले मटेरियल के गुणवत्ता की कोई जानकारी नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि फिर विभाग के किस इंजीनियर की यह जिम्मेदारी है तो उन्होंने दबे स्वर में स्वीकारा कि जुम्मेवारी उन्हीं की है पर ठेकेदार उन्हें वो सब जानकारियां उपलब्ध नहीं कराता जो उन्हें मौके पर देख-रेख के लिए चाहिए होती है। कुल मिलाकर ठेकेदार के साथ-साथ इस धांधलेवाजी में इंजीनियर अंशुल खरे की भी संलिप्तता नजर आ रही है।
