सहायक अध्यापक चंद्रभान नौकरी से वरखास्त
वर्ष 2016 में लोकायुक्त में पंजीकृत हुआ था अपराध
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छतरपुर / अतिथि शिक्षक को ज्वाइन कराने के संबंध में 2 हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए चन्द्रभान सेन सहा अध्यापक (प्रभारी प्रधानाध्यापाक) शासकीय माध्यमिक शाला सूरजपुरा तहसील बड़ामलहरा को लोकायुक्त द्वारा रंगे हाथों पकड़े जाने पर वर्ष 2016 में मामला पंजीबद्ध किया गया था। साथ ही शिक्षा विभाग द्वारा अभियोजन स्वीकृति जारी की गई थी। तदुपरांत इन्हें 4 जुलाई 2018 को निलंबित किया गया था। उक्त मामले में न्यायालय विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम छतरपुर के 31 दिसंबर 2022 के अनुसार पारित निर्णय में दोष सिद्ध पाए जाने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा में सश्रम कारावास 4 वर्ष, 13 (1)(डी) सहपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 5 वर्ष के साथ दोनो धाराओं में 10-10 हजार का अर्थदण्ड और 201 भा.दं.सं. में 1 वर्ष एवं 1 हजार रूपए का अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड की राशि अदा न करने पर 3 माह का सश्रम कारावास से दण्डित किया गया था।
म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल के 08 फरवरी 1999 के अनुसार शासकीय सेवक को आपराधिक प्रकरण में न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध पाये जाने पर म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 10 (नौ) में प्रावधानिक सेवा में पदच्युत (Dismissal) करने का प्रावधान है। उक्त प्रकार के प्रकरणों में उच्चतम न्यायालय के न्यायिक दृष्टांत के अनुसार मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एव अपील) नियम 1966 के नियम 19 सहपठित नियम 14 एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (1) के अंतर्गत अपचारी शासकीय सेवक के विरूद्ध विस्तृत विभागीय जांच आवश्यक नहीं है। साथ ही संबंधित शासकीय सेवक को कार्यवाही के पूर्व कोई सूचना देना भी आवश्यक नहीं है। अर्थात दण्डादेश सीधे पारित एवं जारी किया जा सकता है। अतः उक्त आदेशानुसार एवं कलेक्टर पार्थ जैसवाल के अनुमोदन उपरांत जिला पंचायत सीईओ नमः शिवाय अरजरिया ने चन्द्रभान सेन निलंबित सहा. अध्यापक शा.मा.शाला सूरजपुरा संकुल शा. उ.मा.वि. भगवां को शासकीय सेवा से पदच्युत (Dismissal) कर दिया है।
