-प्रतीक खरे
छतरपुर / पिछले एक पखबाड़े से कुर्सी क़ी ठसक अधिकारियों के सर चढ़ कर बोल रही है | वे- लगाम हो चुके अधिकारियों क़ी बद जुवानी पर बड़े साहबो क़ी चुप्पी पर सवाल उठना ना सिर्फ लाजमी है वल्की सवाल उठ भी रहे है | पहले एक महिला नायव तहसीलदार ने खाद लेने आई किसान क़ी बेटी क़ो थप्पड़ रसीद किये और मामला नोटिस देकर सुलटा दिया फिर सदर एसडीएम ने एक बुजुर्ग किसान के साथ चिल्ला चोट कर अपनी पूरी भड़ास निकाल दी, अब ताजे मामले में नगर पालिका क़ी सीएमओ ने ज्ञापन देने गये सफाई कामगारो के साथ जिस तरह ऊची आवाज में बात कर अपनी कुर्सी का रोब झाड़ा उससे यह सावित हो गया क़ी इन ठसक वाज अधिकारीयों क़ो या तों किसी सफ़ेद पोस का संरक्षण प्राप्त है या फिर बड़े ओहदे दारो में इन्हे काबू में रखने क़ी कुब्बत नहीं है |
माना क़ी ऊट पर वैठने बाले क़ो मलकना आ ही जाता है पर अधिकारियों के अंदर कुर्सी क़ी यह मलकन छतरपुर के हित में नहीं है | जिस गरीव जनता पर यह अधिकारी हाथ चला रहे है, जुवान हिला रहे वे यह भूल गये है क़ी उनकी कुर्सी इसी जनता के कामो के लिए बनाई गई है | अभी हाल ही में दसियो साल से अंगद क़ी तरह वेयर हाउस क़ी कुर्सी पर जमे साहव के भी किसान क़ी फ़सल उजाड़ देने वाले कारनामे उजागर हुए है खबरची क़ो इस बात क़ी कोई जानकारी नहीं क़ी साहव के वायरल व्हीडियो में कितनी सच्चाई है पर वायरल व्हीडियो में तों अन्याय और अत्याचार साफ साफ झलक रहा | ये भी हो सकता है क़ी बाद में यह सफाई आ जाए क़ी व्हीडियो क़ो तोड़ मरोड़ कर पेस किया गया | यह इतने सारे कारनामे सिर्फ 15 दिन में ही सामने आये है आगे आगे देखिये होता है क्या ?