सेडमेप की निलंबित ईडी के खिलाफ चार्जसीट हुई दाखिल भ्रष्टाचार सहित भारी मनमानी के 20 बिन्दुओं की जांच शुरू
भोपाल। उद्ययिमता विकास केंद्र (सेडमेप) भोपाल की निलंबित कार्यकारी निदेशक अनुराधा सिंघई के विरूद्ध चार्जसीट दाखिल हो गई है और उनके विरूद्ध गंभीर 20 बिन्दुओं पर जांच शुरू हो गई है। जिससे निलंबित कार्यकारी निदेशक अनुराधा सिंघई की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है। उन्हें उच्च न्यायालय जबलपुर से पहले ही तगड़ा झटका मिल चुका है। वे शासन द्वारा जारी किए गए निलंबन आदेश के विरूद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर गईं थीं जहां उनकी रिटपिटिशन पहले ही खारिज की जा चुकी है और अब उच्च न्यायालय की डबल वैंच में सुनवाई प्रचलन में है।
ज्ञात हो कि गत 3 सितम्बर को सेडमेप के चेयरमैन श्री कोठारी ने उन्हें गंभीर अनियमितताओं के चलते निलंबित कर दिया था। उन पर सेडमेप में मनमानी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। उच्च न्यायालय से राहत न मिलने से परेशान श्रीमती सिंघई बौखला उठी और उन्होंने सेडमेप के चेयरमैन श्री कोठारी पर मनगढं़त तरीके से आरोपों की बौछार लगा दी। उन्होंने सेडमेप के चेयरमैन सीनियर आईएएस श्री कोठारी पर तब आरोप लगाए हैं जब उनके विरूद्ध गंभीर शिकायतों की न सिर्फ जांच प्रारंभ हो चुकी है बल्कि चार्जसीट भी दाखिल की जा चुकी है। श्रीमती सिंघई ने नियमानुसार निलंबन के बाद न तो समाचार लिखे जाने तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और न हीं इस आशय का कोई प्रमाण पत्र दिया है कि वे अन्य दूसरी जगह कोई कार्य नहीं कर रही है। उसके बाद भी श्रीमती सिंघई ने अपने विरूद्ध हुई कार्यवाही से बौखलाकर मनमाने आरोपों की बौछार लगाना शुरू कर दिया है। बतातें चलें कि श्रीमती सिंघई ने आरोप लगाया है कि एमएसएमई के चेयरमैन श्री कोठारी उन्हें प्रताडि़त कर रहे हैं। आरोप लगाने से पहले वे यह भूल चुकी हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में सेडमेप के 40 से भी अधिक नियमित कर्मचारियों को प्रताडि़त कर या तो उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया या फिर प्रताडि़त कर्मचारी बीआरएस लेकर खुद नौकरी छोडक़र अपने घर बैठ गए हैं। तीन साल तक कर्मचारियों को प्रताडि़त करने के बाद जब उन्हें निलंबन जैसी अप्रिय कार्यवाही का सामना करना पड़ा तब उन्हें प्रताडऩा याद आई और अपने विरूद्ध हुई कार्यवाही को प्रताडऩा निरूपित कर अपने ही विभाग के सीनियर आईएएस पर मनगढं़त प्रताडऩा के आरोप लगाना शुरू कर दिए। सूत्र बताते हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान सेडमेप में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। इन पैनल्ड कई कंपनियां ऐसी है जिन्हें समय पर भुगतान नहीं दिया गया और कई कंपनिया ऐसी है जिन्हें ज्यादा भुगतान कर दिया गया। उन्होंने न तो पूरे सेडमेप के डाटा को मेनटेंन किया और न हीं भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए। अब देखना है कि सरकार उनके विरूद्ध चल रही 20 सूत्रीय धांधलियों की जांच में कोई कार्यवाही करती है या फिर उनके द्वारा लगाए गए मनगढं़त आरोपों को तबज्जो देती है।
