विशेष टिप्पणी : बड़े करें तो लीला, गरीब करें तो पाप
-प्रतीक खरे
बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में स्थित टाईगर रिजर्व क़ी बेशकीमती जमीन एक होटल को देकर जिले के लाटसाहब ने बुंदेलखंड क़ी उस कहावत को सच साबित कर दिया जिसमे कहा जाता है “बड़े करें सो लीला गरीब करे सो पाप।”
मामला वन विभाग क़ी टाइगर क्षेत्र के लिए रिजर्व जमीन से जुडा है। इस मामले के खुलने से प्रशासनिक हल्को में खलबली मची हुई है। डेमेज कंट्रोल के प्रयास किये जा रहे है। मामला बड़ा है बड़े होटल ग्रुप को बड़ा फायदा पहुंचाने का है। जब होटल को बड़ा फायदा पंहुचा तो श्रीमान गंगा नहाए बिना कैसे माने होगे। बताया जाता है कि छतरपुर जिले क़ी राजनगर तहसील क्षेत्र में टाइगर रिजर्व के लिए आरक्षित जमीन में से सरकारी मुलाजिमो ने ओबेराय ग्रुप के होटल के लिए जमीन दे दी, यह कृत्य करते हुए उनके हाथ भी नहीं कांपे, ना ही उनके जमीर ने उन्हें ऐसा करने से रोका। रोकते भी कैसे कई खोको का बजन जब पड़ता है तो अच्छे अच्छे जमीर वाले बे-जमीर हो जाते है। बताते है कि इस क्षेत्र में एक नये नवेले आईएएस एसडीएम थे जैसे ही वे कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर गए या जबरन भेजे गए प्रभारी एसडीएम ने काण्ड कर दिया। सूत्र बताते है इस खेल को अंजाम देने से पहले साहब लोगो ने कुछ खसरा नंबरों से छेड छाड़ कर उनके रकवे को बढ़ाया और फिर “राम क़ी चिड़िया राम के खेत” समझ कर ओबेराय ग्रुप के होटल को ज़मीन दे दी। जब मामले ने तूल पकड़ा तो वर्तमान एसडीएम बलवीर रमण ने एक व्हीडियो जारी कर अपनी सफाई दे डाली और सब को बताने क़ी कोशिश क़ी कि अभी मामला अपील में कलेक्टर न्यायालय में प्रचलित है।
बताते चले कि छतरपुर जिले में सैकड़ो एकड जमीने ऐसी है जिन पर हजारो गरीब किसान खेती कर अपना भरण पोषण करते है और उसी पर आश्रित है जिन्हे आये दिन वन विभाग लठ्ठ लेकर खदेड़ता दिखाई देता है, उनके क़ृषि उपकरण जप्त कर लेता है। क्योंकि वो किसान है! ओबेराय ग्रुप की तरह धन्ना सेठ नहीं है! इसलिए उन्हें खड़ेदा जाता है, उन पर बन भूमि हथियाने के झूठे मुक़दमे लादे जाते है। पता है क्यों, अरे भाई बड़े करते है तो लीला कहलाती है और जो गरीब करता है उसे पाप कहते हैं। छतरपुर जिले में हुई इस बड़ी ज़मीन लीला पर जिम्मेदार मौन व्रत ले चुके है, सत्ता पर नकेल कसने की जिम्मेदारी निभाने वाले अनिश्चित कालीन कोमा में हैं।
