खजुराहो के मंदिरों के नाम समय—समय पर परिवर्तित हुए : डॉ.शिवाकांत द्विवेदी
छतरपुर /कलाकारों और कलाविदों के मध्य संवाद का लोकप्रिय सत्र कलावार्ता के दूसरे दिन जीवाजी विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के रिटायर्ड विभागाध्यक्ष डॉ.शिवाकांत द्विवेदी ने खजुराहो मंदिर सहस्त्राब्दी पूर्ण होने एवं ऐतिहासिक यात्रा पर व्याख्यान दिया। उन्होंने मंदिरों का स्थापत्य, नक्काशी, मिथुन मूर्तियों पर प्रकाश डाला। डॉ.शिवाकांत द्विवेदी ने बताया कि इन मंदिरों के नाम समय—समय पर परिवर्तित होते रहे हैं। ब्रिटिश काल में जो शोध कार्य प्रारंभ हुआ उसमें एफ.सी. मैसी, टी एस बर्ड और एलेक्जैंडर कलिंग्स ने यहां के मंदिरों का सर्वेक्षण किया, नोट्स और ड्राइंग्स भी बनाए। जिसके एल्बम इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी, लंदन में सुरक्षित रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि खजुराहो के मंदिर के भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों की दृष्टि केवल मनोरंजन होती है। जबकि, इन्हें आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ देखा जाना चाहिए। दैवीय आपदा से सुरक्षित रखने के लिए इनका आंकन हुआ होगा या शैव धर्म के कौल कापलिक संप्रदाय की साधना पद्धति को प्रकाशित करने के लिए हुआ होगा। उन्होंने कहा कि सामंतवादी आदर्शों और व्यवहारों की अभियंजना के लिए भी इनका निर्माण हुआ होगा। उन्होंने कहा कि मेरी दृष्टि से इन मंदिरों का निर्माण सृष्टि की उत्पत्ति की ओर इशारा करती है।
